कुछ तो सिला दे मेरे नीर बहाने का ,
एक बार नाम ही ले ले अपने दीवाने का ।
ऐसा करने से तेरा क्या जाएगा ,
पर किसी को सारा जहाँ मिल जाएगा ।
उस एक पल को सदा के लिए कैद कर लूँगा ,
उसी के सहारे मैं सदियों जी लूँगा ।
फिर न रहेगा कोई गिला इस ज़माने से ,
बाज़ आ जाऊंगा खुदा को आजमाने से .
पर अगर ऐसा भी न तू कर पाये ,
और ये इश्क शिर्क न बन जाये
तो फिर इतना ही करम कर दे , (मौला)
मुझे फिर पहले सा कर दे
मुझे फिर पहले सा कर दे ....
शिर्क = खुदा से बैर
कापीराईट :-- माइंड हंटर
Friday, February 20, 2009
अलबेला दीवाना
Posted by mind hunter at 11:10 AM
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