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Monday, March 22, 2010

प्रेम


ऐसे ही चलता रहेगा ये प्रेम प्रसंग,
तुम्हारा न होकर भी होना मेरे संग|

तुम्हारे होने की पीड़ा
और तुम्हारे ना होने की वेदना
और उस पर मेरा ये सोचना
की , तुम को न पाकार भी
क्या पाया ?

इस अकथ्य यंत्रणा में ,
आग भी मैं हूँ और पत्ता भी,
भ्रूण भी मैं हूँ और प्रसूता भी|

इस वेदना का न कोई ओर, न अंत है
जीवन है क्षणभंगुर , प्रेम अनंत है |

4 comments:

Ashish said...

Very gud... I love hindi poems... inspired so much that will write my next blog in hindi...
keep the good work up...

बेईमान शायर said...

इस अकथ्य यंत्रणा में ,
आग भी मैं हूँ और पत्ता भी,
भ्रूण भी मैं हूँ और प्रसूता भी|

waah yaar...hindi me bhi tagde ho..
maza aa gaya..

Shwet Shashank said...

waah mast hai himesh...

Unknown said...

kya baat hai.... himesh ... lovely poem....